G20 दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं का संगठन है, इसके सदस्य दुनिया की आबादी का दो-तिहाई, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 75% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85% हिस्सा हैं। अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संगठनों के अनुसार G20 विश्व अर्थव्यवस्था के द्वारा वर्तमान में सामना कर रही प्रमुख बाधाओं के समाधान करने में सफल हो सकता है। G20 शिखर सम्मेलन की अठारहवीं बैठक 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी, यह भारत में आयोजित पहला G20 शिखर सम्मेलन था|
भारत पिछले वर्ष दिसंबर से G20 की अध्यक्षता कर रहा है| भारत की G20 प्रेसीडेंसी की थीम, "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" भारत की प्राथमिकताओं को दर्शाती है, जिसमें समावेशी और लचीले विकास की वकालत; SDG पर प्रगति; हरित विकास और मिशन LiFE; तकनीकी परिवर्तन और सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढाँचा; सुधार शामिल हैं। बहुपक्षीय संस्थान; महिलाओं के नेतृत्व में विकास; अंतर्राष्ट्रीय शांति और सद्भाव, इसके अलावा भारत ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों की आवाज़ और चिंताओं को भी नेतृत्व दे रहा है।
भारत का लक्ष्य है कि वो महामारी के बाद की रिकवरी को समावेशी बनाए और बहुपक्षीय सहयोग को मज़बूती दे| आज जब भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बेहतरी में अधिक से अधिक योगदान देने की कोशिश कर रहा है, तो उसका ज़ोर श्रम बाज़ार की चुनौतियों, स्वास्थ्य के मूलभूत ढांचे की कमियों, जलवायु वित्त और क़र्ज़ के प्रशासन पर अधिक है| हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की पृष्ठभूमि में देंखे तो भारत की अध्यक्षता कई अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों के बीच थी - कोविड-19 महामारी का प्रभाव, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से चल रही भू-राजनीतिक तनातनी और वैश्विक खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के सामने खड़ी चुनौतियों के बीच भारत ने अपनी अध्यक्षता में एक सर्वसमावेशी प्रशासन का नज़रिया रखा था| G20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत का नेतृत्व बहुआयामी रहा है।
भारत ने G20 के मंच का इस्तेमाल बहुपक्षीयवाद को मज़बूती देने और अंतरराष्ट्रीय वार्ता प्रक्रिया को नया आकार देकर और विकासशील देशों के टिकाऊ विकास की प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाते हुए महत्वपूर्ण योगदान देने की कोशिश की है| यह शिखर सम्मलेन कई उपलब्धियों से भरा रहा: जैसे
अफ़्रीकन युनियन G20 संगठन में शामिल हुआ और इसी वर्ष से सदस्य बना।
नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन पर देश के प्रमुखों द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं जिसके अनुसार समावेशी विकास पर जोर दिया जाएगा।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप-यूएसए कॉरिडोर इन देशों के नेताओं द्वारा प्रस्तावित और पारित किया गया।
सदस्य देशों द्वारा ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस बनाया गया है जो बायोफ्यूल के अधिकतम उपयोग पर जोर देगा।
G20 के मुख्य समन्वयक हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम" या "दुनिया एक परिवार है" का सिद्धांत G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से सीखा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण विचार रहा| G20 शिखर सम्मेलन 2023 के अन्य प्रमुख उपलब्धियाँ रही हैं:
1. मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास: भारत के नेतृत्व में G20 ने सभी के लिए अनुकूल व्यापार और निवेश माहौल को बढ़ावा देने के लिए संरक्षणवाद और बाजार-विकृत प्रथाओं को हतोत्साहित करके समान अवसर और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दोहराया। G20 का उद्देश्य स्थायी रूप से वित्तपोषित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त करना और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी पर विचार करना है। नई दिल्ली - घोषणा के अनुसार, मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास (एसएसबीआईजी) प्राप्त करने के लिए नीति निर्माताओं को अपनी नीति प्रतिक्रिया में चुस्त और लचीला रहने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया गया है।
2. सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्रगति में तेजी लाना: 18वां G20 शिखर सम्मलेन सतत विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा लचीले और समावेशी विकास, महिला सशक्तिकरण और कल्याण पर केंद्रित रहा। 2030 का लक्ष्य होते हुए भी एसडीजी पर वैश्विक प्रगति केवल 12 प्रतिशत ही रही है।G20 में एसडीजी की ओर तेजी से आगे बढ़ने के लिए 2030 एजेंडा को पूरी तरह और सफलतापूर्वक लागू करने के लिए दिल्ली घोषणापत्र में विकास के लिए डेटा का उपयोग करने में डिजिटल परिवर्तन, एआई और डेटा की भूमिका का उल्लेख किया गया है और विकास क्षमता निर्माण और अन्य मौजूदा पहलों के लिए डेटा लॉन्च करने के निर्णय किया गया है। वैश्विक नेता G20 शिखर सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। मूलभूत शिक्षा के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करने का निर्णय किया गया जिसमें शिक्षा और रोजगार के लिए प्राथमिक निर्माण खंड के रूप में साक्षरता, संख्यात्मकता और सामाजिक-भावनात्मक कौशल शामिल किया गया हैं।
3. सतत भविष्य के लिए हरित विकास पर समझौता: G20 नेताओं ने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यक कार्यों में तेजी लाने के लिए हरित विकास समझौते को मंजूरी दे दी है। G20 के भारतीय शेरपा अमिताभ कांत के अनुसार, “यह विकास समझौता वित्तपोषण, वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, विश्वव्यापी जैव ईंधन गठबंधन, सतत विकास और प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने सहित अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित करेगा।” इसका उद्देश्य एकीकृत, समग्र और संतुलित तरीके से पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास के साथ हमारे वर्तमान विकास और अन्य नीति विकल्पों और कार्यों के आधार पर वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की समृद्धि और कल्याण को प्राप्त करना है।
4. 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान: भारत हमेशा ही बहुपक्षीय संस्थानों के विस्तार तथा उनके सुधार के पक्ष में रहा है| 21वीं सदी में अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्तपोषण को एक ऐसी प्रणाली की भी आवश्यकता है जो विकासशील देशों, विशेष रूप से सबसे गरीब और सबसे कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो, और जो उनके सामने आने वाली चुनौतियों के दायरे और उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले झटकों की गंभीरता को भी समायोजित कर सके। भारतीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, जाम्बिया, घाना और इथियोपिया के लिए ऋण राहत की रूपरेखा पर एक समझौता हुआ है जिसके अनुसार यह ढांचा अब अंतरराष्ट्रीय कराधान पर G20 की प्रगति के तहत अचल संपत्तियों पर देशों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान पर काम करेगा।
5. तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चरन (डीपीआई): यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों द्वारा विकसित और उपयोग की जाने वाली साझा डिजिटल प्रणालियों के संग्रह को संदर्भित करती है। डीपीआई सुरक्षित और लचीले बुनियादी ढांचे पर आधारित है, और इसका निर्माण खुले मानकों और विशिष्टताओं के साथ-साथ ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके किया जा सकता है, जो सामाजिक स्तर पर सेवाओं के वितरण को सक्षम कर सकता है।
6. आतंकवाद और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला: G20 के दौरान की गई घोषणा में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई, चाहे वह नस्लवाद, ज़ेनोफोबिया और असहिष्णुता के अन्य रूपों से प्रेरित हो, साथ ही धर्म या अन्य मान्यताओं के नाम पर किए गए हिंसा को भी प्रतिबंधित करने की मांग की गई क्योकि यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर जोखिमों का प्रतिनिधित्व करती है। जी20 शिखर सम्मेलन में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) और एफएटीएफ स्टाइल क्षेत्रीय निकायों को और सुदृढ़ करने पर भी सहमति बनी।
अंततः G20 शिखर सम्मेलन ने भारत को वैश्विक राजनीति के केंद्र में स्थापित किया है| इस वर्ष G20 को "हरित शिखर सम्मेलन" के रूप में देखा जा सकता है क्योंकि भारत ने कई जलवायु नीतियों को बढ़ावा दिया- जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय जैव ईंधन गठबंधन, "मिशन लाइफ़" और हरित हाइड्रोजन। हरित वित्त पोषण को बढ़ावा देने के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय विकास बैंकों से भी सुधार करने का आग्रह कर रहा है। G20 जैसे बहुपक्षीय आयोजनों में भारत की उपलब्धियाँ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और बहुपक्षीय मंचों पर देश की उच्च स्थिति और अधिक प्रभाव को दर्शाती हैं, और दुनिया भर में जीवन के हर क्षेत्र में भारतीयों के बड़े पदचिह्न को दर्शाती हैं, जो मजबूत वैश्विक व्यवस्था में योगदान करती हैं। आज एक वैश्विक मान्यता है कि भारत दुनिया में वैश्विक भलाई की एक ताकत है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता, शांति और समृद्धि में योगदान दे रहा है।
(This article was contributed by Author: Dr. Abhishek Srivastava, Assistant Professor of Diplomacy
Institute of International Studies, Jawaharlal Nehru University, New Delhi on the occasion of G20 New Delhi summit, 9-10 Sep 2023)
Comments
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